मुंबई। मनपा द्वारा संचालित चेम्बूर के मां अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में गरीब वर्ग के मरीजों का बुरा हाल है।हैरत की बात यह है कि वर्तमान में फिर एक बार मनपा एम(प) के इलाकों में कोरोना का प्रकोप बढ़ चुका है
बावजूद उसके इस अस्पताल में अब भी मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सा सुविधाओं को मुहैया नहीं कराया गया है।जिसके कारण क्षेत्र की अनेक सामाजिक संगठनों की ओर से इस अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं को मुहैया कराने की मांग की गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चेम्बूर में एक मात्र मनपा का अस्पताल मां हैं।जहां पर काफी समय से सोनोग्राफी, एक्सरे ,ब्लड टेस्ट और अन्य चिकित्सा सुविधाओं के लिए मसीनो की व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई है।
इसके अलावा अस्पताल में एम्बुलेंस की सुविधा समय पर उपलब्ध न होने पर मरीजों को दूसरे अस्पतालों में ले जाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।इसके अलावा अस्पताल में कर्मचारियों की भी कमी देखी जा सकती है।
चेम्बूर तालुका कांग्रेस स्लम सेल के अध्यक्ष नीलेश नानचे ने बताया कि माँ अस्पताल चेम्बूर का एक मात्र मनपा का अस्पताल होने के कारण इस अस्पताल का लाभ यहां के सिद्धार्थ कॉलोनी, वासीनाका, कोंकण नगर, वत्सला ताई नाईक नगर,छेड़ा नगर, लाल डोंगर, मुकुंद नगर, माहुल गांव ,अयोध्या नगर,कस्तूरबा नगर और आसपास के इलाकों के लोग उठाते हैं।
लेकिन कोरोना काल के दौरान इस अस्पताल में सिर्फ कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा था।लेकिन अब एक बार फिर जब बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है तो ऐसे में भी अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में गरीब मरीजों और उनके परिजनों का बुरा हाल है।नानचे ने मनपा प्रशासन से चिकित्सा सुविधाओं को मुहैया कराने की मांग की है।
वहीं राष्ट्रीय बजरंग दल के महाराष्ट्र उपाध्यक्ष राजा भाऊ सोनटक्के ने मनपा पर आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि कितनी शर्म की बात है कि मुंबई मनपा का सालाना बजट जहां देश के अन्य कई छोटे राज्यों के बजट के बराबर है ऐसे में चेम्बूर के मां अस्पताल में व्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की कमी मनपा प्रशासन के दावों की पोल खोल देता है।
सोनटक्के ने यह भी कहा कि यदि मनपा ईमानदारी के साथ मेडिकल सुविधाओं के लिए घोषित सालाना बजट का 50 प्रतिशत फण्ड भी छोटे अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के लिए खर्च की होती तो मनपा अस्पतालों की दशा कब की सुधर गयी होती।