जानवर देवनार मंडी ना लाकर दूसरे राज्यो से दूसरे राज्यो में किए जा रहे ट्रांसपोर्ट
मुंबई। मनपा प्रशासन राज्य सरकार की नजरअंदाजी के कारण देवनार बकरा मंडी बंद होने की कगार पर है।यहां लाये जाने वाले जानवरो को यहां ना लाकर राजस्थान गुजरात मध्यप्रदेश के जानवर सीधा आंध्रा केरला कर्नाटक तमिलनाडु व चेनई ले जाए जा रहे हैं।जिससे जहां मनपा प्रशासन को मिलने वाला राजस्व कम हो रहा है वही पशुप्रेमी की आड़ में उन जानवरो की गाड़ियां पकड़कर पुलिस के माध्यम से हड़पने का खेल खेला जा रहा है। गौरतलब है की इसके पहले गुजरात राजस्थान मध्यप्रदेश व अन्य राज्यो से भेंड़ बकरा सीधा मुंबई के देवनार पशुवध गृह लाए जाते थे।
और यहां केरल कर्नाटक तमिलनाडु आंध्रा व चेनई ले जाए जाते थे।जिससे देवनार पशुवधगृह प्रशासन मतलब मनपा को करोडो का राजस्व प्राप्त होता था।हजारो लोगो को रोजगार मिलता था।देवनार के इस व्यवसाय को बंद करवाने का काम कुछ मौक़ा परस्तो ने किया है।सूत्र बताते हैं स्वंय घोषित पशुप्रेमी प्रतिक ननावरे व उसका साथी आशीष पारीख व उसके अन्य साथियो ने मिलकर पुलिस की मिलीभगत से पिछले एक साल में दर्जनों जानवरो से भरे गाडियो को पकड़ कर केस किया और उन गाडियो में लदे जानवरो को कार्यपालिका न्यायपालिका को गुमराह कर हड़प गए हैं।
उन जानवरो को बेच कर प्रतिक ननावारे ने कराड टोलनाके पास अलीशान होटल बनाया है इसके अलावा इस तथाकथित पशुप्रेमी ने पिछले दो तीन साल में करोड़ो की संपत्ति मुंबई नई मुंबई व कराड में बनाई है।जोकि उन्ही भेंड़ बकरियो को हड़प कर उन्हें बेच कर बनाई है।प्रतिक ननावरे के एक काफी करीबी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया की प्रतिक व आशीष ने देवनार के लगने वाली मंडी को मंदी में लाया है।आज यहां के ब्यापार राजस्थान गुजरात व मध्यप्रदेश चले गया है और वहां से जानवर सीधा कर्नाटक केरला आंध्रा व चेनई ले जाए जा रहें हैं।
जिनसे प्रतिक ननावरे व आशीष पारीख एंड कंपनी प्रत्येक गाडी के हिसाब से हफ्ता ले रही है।अगर कोई गाडी मालक व ब्यापारी इन्हें हफ्ता देने से मना करता है तो यह तथाकथित लोग उसकी गाडी पकड़ कर पुलिस के माध्यम से केस कर जानवर हड़प लेते हैं।सूत्रो का कहना है की प्रतिक ही गाडी पकड़ता है केस करता है और फर्जी गौशाला का लेटर देकर न्यायालय जानवर लेकर हड़प जाता है।प्रतिक के अन्य साथी ने हमे बताया की इसने खालपुर नेरुल सतारा व अन्य स्थानों पर गाड़ियां पकड़ कर जानवर हड़प चूका है।
जिसके चलते अब देवनार में लगने वाली मंगलवार व शनिवार की मंडियों में जानवर 8 से 10 हजार भी नहीं आ रहे हैं पहले यहां 40 से 50 हजार जानवर हफ्ते में लाए जाते थे।जिनसे देवनार कत्लखाना प्रशासन को करोडो की कमाई महीने में होती थी।इस मुददे पर जब यहां के कई ब्यापारियो से बात की गई तो उनका कहना था प्रतिक को हफ्ता दिए बिगर हम धंधा नहीं कर सकते हैं।इसलिए वे अब उपरोक्त राज्यो से देवनार में जानवर लाना अथवा यहां से खरीद कर दूसरे राज्यो में ले जाना बंद कर दिए है।