By:R.B.Singh
मुंबई। महानगर के भिंडी बाजार के सामने से जानेवाले गोलदेऊल परिसर क्षेत्र स्थित कुंभारवाङा की तीसरी गल्ली में रामवाङी मंदिर के प्रांगण में 18 जुलाई से होनेवाले श्री शिवमहापुराण कथा एवं महामृत्युंजय यज्ञ की आज श्रावणी सोमवार के ध्यानार्थ शुरूवात हो गयी जिसमें पहले दिन से ही कथा पाठ भजन के रसिकजनो का इस कदर जमावाङा लगने लगा कि शाम के तकरीबन छः बजते ही श्रद्धालुजनो के लिए बैठने हेतु बिछायी हुई दरीयां कुर्सीयां भर गयी जबकि रात को तकरीबन 8 बजते बजते कुर्सीयां भी कम पङने लगी। तत्पश्चात महाआरती का आयोजन किया गया जिसमें ऊँ शिव ओमकारा और ऊँ नमःशिवायः के उदघोषो तथा जयकारो से पूरा मंदिर परिसर गूँजने लगा।
ज्ञातव्य हो कि इस यज्ञ कथा के व्यासपीठ से आ.गुरूदेव श्री आदित्य प्रकाश त्रिपाठी जी अपने कथा ज्ञान प्रकाशपुंज से पूरे परिसर को इस तरह से प्रकाशित कर रहे थे जिनके कथा श्रवण पाठ से संभवतः सैकङो श्रद्धालुजनो के मन मस्तिष्क के अंदर जो अभी तक तम के बादल जो समाये थे वो तो आज से तनिक तनिक छँटते हुए कथा समाप्ति के आखिरी दिन 25 जुलाई तक तो जरूर छट जाएगें।
क्योंकि आ.श्री महाराज जी कथा पाठ के बीच बीच में जिस तरह हंसी मजाक से परिपूर्ण उदाहरणो एवं भावो की प्रस्तुति कर रहे थे उन सबके कारण ही शायद कोई भी रसिकजन अतिआवश्यक कार्यो को भी टालकर कथा बीच में जमे रहे।जिससे यह परिदर्शित हो रहा था कि आ.श्री महाराज जी एक मंझे हुए कथावाचक है जो मध्यप्रदेश के सतना,रीवा तथा छत्तीसगढ के राजनांदगांव आदि में पचासो से भी अधिक कथावाचक सेवांए देने के अभ्यास के बदौलत ही व्यस्त महानगर के शिवभक्त जनो को कथा श्रवण पाठ हेतु अपनी अपनी जगहो पर बैठे रहने हेतु बाध्य रखे जिन् सबको इस कथा रसफुहार के बदले सावन की फुहारें भी फीकी लग रही थी।
जिस कथा यज्ञ के आयोजन में आ.श्री त्रिपाठी जी के विशिष्ट सहयोगीजन आचार्य श्री मनोज द्विवेदी एवं पण्डित श्री विरेन्द्र गोस्वामी के अलावा और भी दर्जनो तक सहयोगी पंडित सहित गायक वादक गण भी बखूबी साथ दे रहे थे जिस कथा की भूरि भूरि प्रशंसा दो सौ से अधिक श्रोताजनो सहित आयोजक उमेश चौरसिया भी तहे दिल से कर रहे थे।
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