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Writer's pictureRavi Nishad

देवनार में बकरा ईद के लिए शेड बनाने का काम शुरू

हर साल की तरह इस बार भी देवनार में बकराईद की तैयारियां शुरू

बार बार एक ही ठेकेदार को कैसे मिलता है ठेका

रवि निषाद/मुंबई। आने वाले 17 जून को मुस्लिम भाइयो का प्रमुख त्यौहार बकरा ईद है।हर साल की तरह इस साल भी मुंबई के आसिफ चुनावाला को मनपा प्रशासन ने देवनार कत्लखाने में शेड बनाने के साथ साथ अन्य कामो का ठेका उसी चुनावाला की कंपनी को काम दिया जिसने पिछले साल 15 दिन के काम का 15 करोड़ से अधिक का कन्ट्रेक लिया था।ऐसी जानकारी भी मिल रही है की इस बार इस कांट्रेक्टर को करीब 20 करोड़ का ठेका दिया गया है।


गौरतलब है की पिछले 10 से 15 वर्षो से मनपा प्रशासन देवनार कत्लखाने में बकरा ईद के लिए बनाए जाने वाले शेड के काम का कंट्रेक्ट आसिफ चुनावाला की कंपनी को दिया जाता है।सूत्रो का कहना है की जिसमे करोडो करोडो रुपए की लेन देंन करके चुनावाला उक्त कांट्रेक्ट लेता है।यहां के ब्यापारियो ग्वालो दलालो का कहना है की सबसे घटिया दर्जे का काम करके आसिफ हर साल मनपा व मनपा के संबंधित अधिकारियो को चुना लगाने का काम करता है।इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियो की भूमिका के साथ साथ देवनार कत्लखाने के महाप्रबन्धक की भूमिका शक के दायरे में रहती है।बताया जाता है की बकरा ईद के समय देश के कोने कोने से बकरा ब्यापारी यहां अपने जानवर लेकर आते हैं।उन्हें उचित सुविधा देने की आड़ में मनपा उनसे अलग अलग चार्ज तो वसूलता है लेकिन सुविधा का कोई ठिकाना नहीं रहता है।क्योंकि इसमें उक्त ठेकेदार से नीचे से उपर तक के अधिकारी मिले हुए रहते हैं।जिसके चलते उक्त ठेकेदार बेख़ौफ़ होकर कुछ भी काम कैसा भी करता है।यहां के एक प्रमुख ब्यापारी ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर हमसे बात करते हुए कहा की बिलकुल घटिया दर्जे का काम हमेशा आसिफ चुनावाला द्वारा किया जाता है लेकिन सबकी बोलती क्यों बंद रहती है यह आज तक किसी को मालुम नहीं पड़ता है।इस संदर्भ में जब देवनार कत्लखाना के प्रबन्धक कमाल पाशा पठान से बात की गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा की यह काम सेन्ट्रल एजेंसी द्वारा दिया गया है।हम तो केवल रिक्वायरमेंट भेजते है काम किसे देना है किसे नहीं यह एजेंसी वाले तय करते हैं।इसी तरह जब ठेकेदार आसिफ चुनावाला से बात की गई तो उन्होंने कहा की आप देवनार प्रबंधन या अन्य संबंधित अधिकारियो से इसकी जानकारी ले हम कुछ भी बताना उचित नहीं समझते हैं।इससे साफ़ जाहिर होता है की यहां दाल में जरूर कुछ काला है जिसकी जानकारी देने से सभी मना करते है।

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