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निरक्षरता के खिलाफ जागृत करती है भोजपुरी फिल्म 'शिक्षा संदेश' : निर्माता आरबी गौतम



भोजपुरी फिल्में अमूमन मनोरंजन के लिए बनती रही हैं। लेकिन, गौतम फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले बनी निर्माता आर० बी० गौतम की फिल्म "शिक्षा संदेश" भरपूर मनोरंजन के साथ देहाती क्षेत्रों में व्याप्त निरक्षरता को लेकर चिन्ता व्यक्त करती है, उसके विरूद्ध जनजागृति फैलाने का काम करती है। टेली फिल्म "हिन्दुस्तान की जय" से चर्चा में आये आर० बी० गौतम ने एक भेंटवार्ता में यह स्पष्ट किया। प्रस्तुत है, BBNEWS से वार्तालाप के संपादित अंश :


किस प्रकार शिक्षा संदेश देती है, जनजागृति फैलाती है आपकी फिल्म "शिक्षा संदेश" ?

— फिल्म की पृष्ठभूमि देहाती क्षेत्र की है। आज भी पूर्वांचल में ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं, गाँव कस्बे हैं जहाँ के लोग अशिक्षित हैं, निरक्षर हैं। हमारी फिल्म में भी यही मुद्दा उठाया गया है। इसमें एक जमींदार है जो नहीं चाहता उसके क्षेत्र में शिक्षा का प्रचार प्रसार हो, लोग पढ़ें लिखें, साक्षर बनें। उसे डर रहता है कि पढ़ लिख जाने के बाद लोग उसके प्रभाव दबाव में नहीं रहेंगे।


फिर कैसे आप लोगों में जनजागृति फैलाते हैं ?

— देखिए, मेरी फिल्म "शिक्षा संदेश" निरक्षरता के खिलाफ बिगुल बजाते हुए नारी चेतना की भी वकालत करती है। इस लिहाज से यह एक नारी प्रधान फिल्म है। सामान्यतः ऐसा होता है कि जब किसी गाँव में कोई स्त्री अकेली होती है तो विभिन्न समस्याओं से घिर जाती है, अलग थलग पड़ जाती है। पर, हमारी हीरोइन लोगों पर आश्रित नहीं होती। वह शिक्षिता है, सारे कार्य अपने तरीक़े से कर लेती है।


यह बदलाव कैसे आता है ?

— नायिका पढ़ी लिखी है। वह समझाती है कि ज़माना बहुत आगे जा चुका है। अगर हम अनपढ़ रहे तो यहीं खड़े रह जायेंगे। शिक्षा स्त्री पुरुष दोनों को नयी राह दिखायेगी। हम अपना भला बुरा तभी समझ सकते हैं जब हम शिक्षित होंगे। आगे वह गाँववालों के लिए प्रेरणा बन जाती है।


कलाकार तकनीशियन कौन कौन हैं ?

— अविनाश शाही हीरो, कल्पना शाह हीरोइन और दीपक भाटिया विलेन जमींदार हैं। इसमें प्रमोद माऊथो भी हैं। बिग बी., रवीन्द्र अरोड़ा, ज्योति ठाकुर, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, राम विश्वकर्मा, राधेश्याम गुप्ता मुख्य साथी कलाकार हैं। लेखक अनिल विश्वकर्मा हैं, संगीतकार विपिन बिहारी तथा माधव सिंह राजपूत हैं। फिल्म के सम्पादक (एडिटर) उपेन्द्र विक्रम, कोरियोग्राफर फीरोज खान, सिनेमैटोग्राफर बिरजू चौधरी व पंकज जोशी और डायरेक्टर लखीचंद ठाकुर हैं।


शिक्षा संदेश देनेवाली फिल्म में एंटरटेनमेंट भी है ?

— भरपूर एंटरटेनमेंट है। नाम "शिक्षा संदेश" है, पर, यह एक मनोरंजक फिल्म है। इसमें छह अच्छे गाने हैं। एक साफ सुथरा आइटम नंबर भी है। एक कमर्शियल फिल्मवाला सब मसाला है।


फिर आपने डॉक्यूमेंट्री जैसा टाइटल क्यों रखा ?

— इसलिए कि लोग यह न समझें कि यह आम ढर्रे की भोजपुरी फिल्म है। जब मेरी हिन्दी टेली फिल्म "हिन्दुस्तान की जय" आस्था चैनल पर दिखाई गई थी, तभी मैंने "संदेश" शीर्षक अगली हिन्दी फीचर फिल्म के लिए पंजीकृत करा लिया था। पर जब भोजपुरी में बनाने की योजना बनी तब वह टाइटल नहीं मिला और मुझे 'संदेश' में 'शिक्षा' जोड़ना पड़ा।


फिल्म की क्या स्थिति है ?

— फिल्म सेंसर बोर्ड में है। सर्टिफिकेट मिलते ही रिलीज की तिथि घोषित कर दें.

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