कई लाभार्थियों व अधिकारियो पर गिर सकती है गाज !
मुंबई। चेंबूर के श्रमजीवी नगर स्थित जय अंबे कॉ.हा.सो.में हुए भ्रस्टाचार की पोल अब खुल चुकी है।ऐसा बताया जाता है की इस मामले में शामिल अधिकारियो व उनसे संबंधित लाभार्थियों के उपर कभी भी संबंधित विभाग की गाज गिर सकती है ! जिसकी शिकायत उच्च स्तर पर की गई है।
गौरतलब है की चेंबूर स्थित श्रमजीवी नगर के जय अंबे कॉ.हा.सोसायटी में उच्च स्तर पर भ्रस्टाचार होने की जानकारी मिलते ही गत दिनों इमन्युएल नाडार नामक युवक उच्च स्तर पर कई साक्षय देते हुए शिकायत की थी।इस मामले में झोपडपट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण मुंबई के सक्षम अधिकारियो ने जांच पड़ताल की है।जिसमे उच्च स्तर पर भ्र्ष्टाचार होने की जानकारी उन्हें मिली है।विशेष सूत्र बताते हैं की यहां के ललिता अशोक कुमार अगरवाल ने प्राधिकरण को 30/06/2004 का गुमास्ता लायसेंस 1993 का बताकर और 1994 बनावटी बीएसईएस का बिजली बिल पेश किया था।
बताया जाता है की ललिता अशोक कुमार अगरवाल के 30/04/2021 का बीएसईएस का बिजली बिल की जांच में विभाग के सक्षम अधिकारिओ पाया की बीएसईएस का बिजली बिल क्रमांक सी.2400002 का सबसे पहले अनिवासी प्रयोजन के लिए दिसंबर 1993 में कनेक्शन लिया गया था जो की अली मोहम्मद इसाक के नाम पर था।उसके बाद उक्त बिजली का नाम दिसंबर 2001 में ललिता अशोक अगरवाल के नाम किया गया जो की 15/05/2009 के दिन खंडित किया गया था।
इसी तरह झोपडाधारक ने गुमास्ता लायसेंस क्रमांक MW-I/011081 ललिता अशोक अगरवाल के नाम का प्राधिकरण को दिया गया।जिस पर साफ़ साफ़ लिखा हुआ है की यह लायसेंस 2004 में बनाया गया है।बताया जाता है की जब इसकी प्राधिकरण के माध्यम से मनपा एम पश्चिम विभाग कार्यालय में जांच हुई तो 15 मार्च 2021 को संबंधित विभाग अधिकारी ने अपना अहवाल दिया की क्र.स.आ.एम.प./157/दु.व.आ. दिनांक 15/03/2021 गुमास्ता लायसेंस क्रमांक MW/11081-दिनांक 03/07/2004 को बनाया गया है।जिसके आधार पर झोपड़ा क्रमांक 89 परिशिष्ट-2 ललिता अशोक अगरवाल ने दो दूकान उसी गुमास्ता लायसेंस व बिजली बिल का उपयोग कर पात्र करवाया है,और उसका ताबा भी लिया है।
सूत्र बताते है की परिशिष्ट-2 में दर्ज ललिता अशोक अगरवाल के नाम का गुमास्ता लायसेंस क्र.MW-I/11081 दि.02/02/1993 पूरी तरह फर्जी है।जिसके आधार पर ललिता को इस सोसायटी में दूकान का एलाटमेंट हुआ है,जो सरासर गलत है।जिसकी जांच पड़ताल कर त्वरित कार्यवाई का आदेश यहा के सक्षम अधिकारियो ने दिया है।अब इस मामले का खुलासा होने के बाद ऐसा लगता है की इस सोसायटी में उच्च स्तर पर भ्र्ष्टाचार हुआ है जिसकी जांच शुरू है।जल्द से जल्द लाभार्थियों व संबंधित अधिकारियो पर गाज गिरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।इधर इस बात की जानकारी सामने आते ही यहां के इस सोसायटी के लाभार्थियों,संबंधित अधिकारियो व सोसायटी के पदाधिरियो में खलबली मच गई है।
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